Purna Purushottam Narayan, Shree Swaminarayan took incarnation on April 2, 1781 CE, (Chaitra Sud Navami, Vikram Samvat 1837) in Chhapaiya village (near Ayodhya, Uttar Pradesh) in a Sarvaria Brahmin family. In his early years, he was known as Ghanashyam. At the age of eleven years His parent...
वैदिक कालमें शिक्षा का संचालन प्राचीन वैदिक कालमें अपने देशके धार्मिक नेता ऋषि-महर्षियों के द्वारा ही पूरे राष्ट्र में शिक्षा का संचालन होता था । एवं वे ही स्वयं बडे बडे गुरुकुलों तथा विद्यापीठों के कुलपति होते थे । मध्यकाल में भी हमारे मंदिर शिक्षा के बडे बडे केन्द्र होते ...
भगवान श्रीस्वामिनारायण के “सर्वजीवहितावह” सिद्धान्त एवं “प्रवर्तनीया सद्विद्या भुवि यत्सुकृतं महत्” शि. श्लोक-132, पृथ्वीपर सद्विद्या की प्रवृत्ति करने से महान् पुण्य अर्जित किया जा सकता है । क्योंकि इसके माध्यम से ही अज्ञानता और गरीबी को दूर किया जा सकता है । सभी सुविधाएं जिन्हें आधुनिक...
गुरुकुलीय शिक्षा शिक्षण संस्थानों में गुरुकुल संस्थाओं का विशेष प्रकार का स्थान है। गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति संस्कार के साथ, जीवन निर्माण की शिक्षा पद्धति है। गुरुकुलों में सामूहिक जीवन या सामाजिक जीवन सहज रूप से बनता है। सुबह जल्दी उठना, समूह में स्नान करना और शरीर शुद्धिकरण की गतिवि...
1 - 5 of ( 5 ) records